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College vocational course project

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व्यावसायिक पाठ्यक्रमों / परियोजना कार्य / शिक्षुता/ प्रशिक्षुता/ सामुदायिक जुड़ाव पाठ्यक्रम के संचालन हेतु निर्देश


1. व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु निर्देश : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में व्यावसायिक शिक्षा का समावेश किया गया है जिसके द्वारा उद्योग एवं व्यावसायिक जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप जनशक्ति का नियोजन किया जा सके ।

व्यावसायिक पाठ्यक्रम का चयन :- ऐसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को ही चिन्हित किया जाये जिनकी शिक्षण व्यवस्था महाविद्यालय स्वयं अपने शिक्षकों के सहयोग से कर सकते हैं अथवा निकटस्थ महाविद्यालय से पारस्परिक सहयोग के लिए MOU के आधार पर पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर सकते हैं।

प्रत्येक महाविद्यालय व्यावसायिक शिक्षा के लिए निर्धारित 25 व्यावसायिक विषयों की सूची में से पाठ्यक्रम संचालन की संख्या न्यूनतम 2 होगी और अधिकतम संख्या का निर्धारण स्थानीय रूप से उपलब्ध विषय विशेषज्ञता एवं संसाधन के आधार पर कर सकते हैं। उपलब्ध संसाधनों के अनुसार ही महाविद्यालय प्रत्येक व्यावसायिक पाठ्यक्रम में इस प्रकार सीटों, बैच और प्रति बैच विद्यार्थी संख्या का निर्धारण करेंगे, कि पाठ्यक्रम की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके ।

विद्यार्थी को महाविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये पाठ्यक्रमों से ही व्यावसायिक पाठ्यक्रम का चुनाव करना होगा। यदि विद्यार्थी महाविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गये व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से अध्ययन न करके किसी अन्य पाठ्यक्रम को अपनी रुचि एवं ज्ञान के आधार पर अध्ययन करना चाहता है तो उसे भारत सरकार के SWAYAM पोर्टल पर उपलब्ध निर्धारित पाठ्यक्रमों में से महाविद्यालय से अनुमति प्राप्त कर स्वयं के व्यय से यह पाठ्यक्रम पूर्ण करना होगा ।

कौशल संवर्धन डेस्क का गठनः विद्यार्थियों की सुविधा के लिए प्रत्येक महाविद्यालय व्यावसायिक पाठयक्रम / परियोजना कार्य शिक्षुता प्रशिक्षुता सामुदायिक जुडाव / कौशल विकास पाठयक्रमों के संचालन के लिए एक कौशल संवर्धन डेस्क (Skill Development Desk ) का गठन करेगा जिसके नोडल अधिकारी का नाम, विभाग, मोबाइल नम्बर, कक्ष क्रमांक महाविद्यालय की वेबसाईट तथा नोटिस बोर्ड पर प्रमुखता से प्रकाशित किया जायेगा । विद्यार्थियों की उपरोक्त पाठयक्रमों से संबंधित सभी समस्याओं का उचित व संवेदनशीलता के साथ निराकरण का दायित्व कौशल संवर्धन डेस्क के प्रभारी नोडल अधिकारी का होगा।

प्राचार्य, नोडल अधिकारी एवं संबंधित प्राध्यापकगण यह सुनिश्चित करेंगे कि व्यावसायिक व कौशल संवर्धन पाठ्यक्रमों का लाभ विद्यार्थी को अनिवार्य रूप से प्राप्त हो सके, इस हेतु विद्यार्थियों को दिशा निर्देशित करने के लिए तीन दिवस का उन्मुखीकरण कार्यक्रम अनिवार्य रूप से आयोजित किया जाये।

व्यावसायिक / कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि विद्यार्थी द्वारा संबंधित कौशल क्षेत्र में कितनी दक्षता अर्जित की गयी है जो उसे रोजगार/ स्वरोजगार के अवसर दिला सके। सम्पूर्ण व्यावसायिक/कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम परिणाम आधारित शिक्षा व कौशल विकास की समझ पर आधारित है।

सञ्चालन एवं संसाधनों की व्यवस्था:- व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था महाविद्यालय को स्वयं करनी होगी तथा इसके लिए जनभागीदारी मद से आवश्यक धनराशि नियमानुसार खर्च कर सकेंगे ।

प्राचार्य व नोडल अधिकारी स्थानीय उद्योगों से भी कौशल संवर्धन के पाठ्यक्रमों के संचालन मे आवश्यकतानुसार सहयोग प्राप्त करेंगे जिससे विद्यार्थियों को रोजगार के लिए आवश्यक ज्ञान व दक्षता को वास्तविक रूप से विकसित करने में मदद मिलेगी।

व्यावसायिक पाठ्यक्रम का मूल्याङ्कन : व्यावसायिक पाठ्यक्रम में 2 क्रेडिट के सैद्धांतिक एवं 2 क्रेडिट के प्रायोगिक पाठ्यक्रम होंगे। मूल्यांकन का मुख्य आधार होगा कि विद्यार्थी द्वारा निर्धारित CLO (Course Learning Outcome) प्राप्त कर लिए गए हैं या नहीं तथा उनका स्तर क्या है? सैद्धांतिक प्रश्न पत्र का मूल्यांकन विश्वविद्यालय द्वारा नियमानुसार किया जायेगा जबकि प्रायोगिक कार्य का मूल्यांकन निम्नानुसार किया जायेगा :

० व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल संवर्धन पाठ्यक्रमों का मूल्यांकन संबंधित सेक्टर स्किल कॉउन्सिल द्वारा किया जाएगा। यदि किसी विशेष ट्रेड / पाठ्यक्रम के लिए कोई एस.एस.सी. (सेक्टर स्किल कॉउन्सिल) नहीं है तो ऐसे पाठ्यक्रम का मूल्यांकन किसी अन्य संबंधित क्षेत्रीय परिषद या संबंधित क्षेत्र के भागीदार उद्योग से कराया जा सकता है।

० यदि सेक्टर स्किल कॉउन्सिल किसी कारण से मूल्यांकन कार्य निर्धारित समयावधि मे नहीं करती है तो शैक्षणिक कैलेण्डर के अनुसार संस्थान स्वयं Skill Assessment Matrix के अनुसार ज्ञान तथा कौशल मूल्यांकन कर सकते हैं। महाविद्यालय के कौशल मूल्यांकन बोर्ड में प्राचार्य/कौशल संवर्धन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी / संबंधित उद्योग का एक प्रतिनिधि/ विश्वविद्यालय द्वारा नामांकित व्यक्ति/एक बाह्य विषय विशेषज्ञ शामिल होगा।

आंतरिक (सतत्) एवं बाह्य (विश्वविद्यालयीन ) मूल्यांकन में अंको का विभाजन क्रमशः 50 व 50 अंकों का होगा ।

अ) आंतरिक मूल्यांकन (50 अंक) हेतु निम्नानुसार विभाजन होगा :

• 05 अंक उपस्थिति -

• 30 अंक प्रायोगिक रिकॉर्ड -

• 15 अंक मौखिकी -

ब) बाह्य (विश्वविद्यालयीन ) मूल्यांकन (50 अंक) का विभाजन निम्न प्रकार होगा।

• 40 अंक निर्धारित सूची अनुसार (listed) प्रायोगिक कार्य परीक्षा

• 10 अंक मौखिकी



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