Skip to main content

College Field Project

             College Field Project 

 
College Field Project

   परियोजना कार्य / शिक्षुता / प्रशिक्षुता/ सामुदायिक जुड़ाव पाठ्यक्रम हेतु निर्देश :


मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन अंतर्गत स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम में लागू नवीन पाठ्यक्रम संरचना में परियोजना कार्य / शिक्षुता प्रशिक्षुता / सामुदायिक जुड़ाव, के पाठ्यक्रम (4 क्रेडिट) का समावेश किया गया है।

इनमें से किसी एक विधा का चयन कर प्रशिक्षण / अध्ययन करना अनिवार्य है। विद्यार्थी को महाविद्यालय में उपस्थित होकर परियोजना कार्य, प्रशिक्षुता, शिक्षुता और सामुदायिक जुड़ाव के कार्यक्रम / गतिविधियों की मूल अवधारणा का परिचय प्राप्त करना होगा।

पाठ्यक्रम के चुनाव एवं अन्य जानकारी के लिए महाविद्यालय में त्रि-दिवसीय प्रेरण (इंडक्शन) कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें विद्यार्थी की प्रतिभागिता अनिवार्य होगी। प्रेरण कार्यक्रम में प्रत्येक प्रकार के पाठ्यक्रम की संकल्पना, उसकी विशेषता के साथ विभिन्न प्रपत्रों एवं मूल्यांकन पद्धतियों से विद्यार्थियों को अवगत कराया जायेगा ।

प्रेरण (इंडक्शन) कार्यक्रम के उपरांत विद्यार्थी को अपनी रुचि के अनुसार गतिविधि चुनाव का विकल्प देना होगा। अभिरुचि, वरीयता क्रम व उपलब्धता के आधार पर शिक्षक- अभिभावक, विद्यार्थियों के लिए गतिविधि नियत करेंगे। शिक्षक आवश्यकतानुसार तथा विद्यार्थियों की रुचि के अनुकूल उन्हें सामान्य रूप से उनके द्वारा चयनित मुख्य, गौण, वैकल्पिक विषय से सम्बंधित क्षेत्र में कार्य करने की अनुमति देंगे, विशेष परिस्थतियों में यदि कोई विद्यार्थी अपने चयनित विषयों के अतिरिक्त अन्य किसी विषय से सम्बंधित क्षेत्र में कार्य करने चाहता है तो उसे इस कार्य की उपयोगिता, प्रासंगिकता एवं औचित्य का उल्लेख करते हुए महाविद्यालयीन प्राचार्य से टीप सहित विशेष अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा ।

प्रबंधन एवं संचालन :

इन घटकों के गुणवत्ता प्रबंधन एवं सुचारू सञ्चालन को सुनिश्चित करना महाविद्यालय में गठित कौशल संर्वधन डेस्क की जिम्मेदारी होगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि 25-30 विद्यार्थियों का समूह एक शिक्षक-अभिभावक (Teacher Guardian) को आवंटित किया जाए तथा सम्बंधित शिक्षक इन विद्यार्थियों की पाठ्यक्रम सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण करें। शिक्षक अभिभावक की भूमिका एक उत्प्रेरक एवं सूत्रधार की होगी जो परियोजना / सर्वे कार्य के लिए विषय- शिक्षक / पर्यवेक्षक (Supervisor) से भिन्न होगी। शिक्षक अभिभावक विद्यार्थी को पाठ्यक्रम की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए परियोजना कार्य को पूर्ण करने में सहायता करेंगे।

विषय - शिक्षक / पर्यवेक्षक के दायित्व में, विद्यार्थी को परियोजना / शोध / सर्वे कार्य आबंटित करना, आवश्यक मार्गदर्शन तथा उसके द्वारा किये जा रहे कार्य की अद्यतन जानकारी का समुचित रिकार्ड अपने पास रखना और आंतरिक मूल्यांकन करना सम्मिलित होगा ।  

• गतिविधि के प्रथम चरण में विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुरूप शिक्षक पर्यवेक्षक की सहायता से प्रोजेक्ट या अन्य गतिविधि के अंतर्गत कार्य करने के लिए लोगों से चर्चा कर, साहित्य, इन्टरनेट आदि की सहायता से विषय का प्रारंभिक चुनाव करेंगे ।

० यदि विद्यार्थी ने प्रशिक्षुता/ शिक्षुता के विकल्प का चयन किया है तो उसे किसी

मान्यता प्राप्त फर्म / संस्थान से यह गतिविधि पूर्ण करना होगी। ० विद्यार्थी ने यदि परियोजना कार्य का चयन किया है तो उसे किसी

महाविद्यालयीन शिक्षक के मार्गदर्शन में परियोजना कार्य करना होगा।

• ऐसे विद्यार्थी जिनको को सामुदायिक जुड़ाव के कार्यक्रम / गतिविधियों में अध्ययन करना है तो उसे किसी मान्यता प्राप्त, शासकीय / अशासकीय संस्था / पंजीकृत स्वयंसेवी / गैर शासकीय संगठन (N.G.O.) के साथ जुड़कर या व्यक्तिश: सेवा - अध्ययन करना होगा ।

• किसी भी गतिविधि के अंतर्गत कार्य करने की स्थिति में विद्यार्थी को शिक्षक-पर्यवेक्षक के सतत सक्रिय संपर्क में रहकर नियमित रिपोर्टिंग करना अनिवार्य है, इसके लिए विद्यार्थी द्वारा एक वर्किंग नोटबुक / डायरी का संधारण किया जायेगा जिसमें अध्ययन, सर्वे, प्रोजेक्ट, डाटा, मार्गदर्शक के साथ चर्चा, नोट्स, आदि अंकित होंगे। इस पर शिक्षक- पर्यवेक्षक के समय-समय पर निरीक्षण हस्ताक्षर होंगे तथा यह वर्किंग नोटबुक, विद्यार्थी द्वारा अंतिम अध्ययन रिपोर्ट के साथ मूल्यांकन के लिए विषय पर्यवेक्षक के पास जमा की जाएगी।

अनुमति हेतु प्रक्रिया:- किसी बाह्य पंजीकृत प्रतिष्ठित मान्य संस्था / फर्म / व्यक्ति के साथ परियोजना कार्य / शिक्षुता / प्रशिक्षुता / सामुदायिक जुड़ाव कार्य करने के लिए महाविद्यालय के प्राचार्य की लिखित पूर्व अनुमति लेना आवश्यक होगा, प्राचार्य महोदय सहभागी संस्थान की गुणवत्ता एवं अन्य आवश्यक विवरणों से व्यक्तिगत रूप से संतुष्ट होने पर ही ऐसी अनुमति जारी कर सकेंगे। उपरोक्त हेतु प्रक्रिया निम्नानुसार है:

० निर्दिष्ट बाह्य संस्थान की जानकारी एवं सहमति प्राप्त करने के लिए शिक्षक-पर्यवेक्षक तथा प्राचार्य द्वारा हस्ताक्षरित एक अनुरोध पत्र ( प्रारूप- G1) संस्थान को दिया जाए।

० संस्थान द्वारा प्रारूप- G2 में अपेक्षित अधिकतम विद्यार्थी संख्या का उल्लेख करते हुए सहमति पत्र प्रदान किया जायेगा।

० प्रारूप - G3 में महाविद्यालय द्वारा संस्था को विद्यार्थियों की सूची सहित औपचारिक. अनुरोध प्रेषित किया जाएगा जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख होगा कि इस सहयोग के लिए सम्बंधित बाह्य संस्थान, विद्यार्थियों अथवा महाविद्यालय से कोई शुल्क नहीं ले सकेंगे। साथ ही संस्थान को प्रारूप- G4 के अनुसार एक प्रतिपुष्टि पत्रक (Feedback Form) भी संलग्न कर भेजा जाएगा जिसमे विद्यार्थियों का सम्बंधित संस्थान द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा।

नोट :- निर्देश के अंत में, सभी प्रारूप और उनके आवश्यकतानुसार विवरण; अनुलग्नक (प्रारूप ) के रूप में दिए गए हैं, सभी प्रारूप केवल सुझावात्मक तथा उदाहरण मात्र हैं अर्थात कार्य की आवश्यकता और सन्दर्भ के अनुसार उनमें आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते हैं ।


1. परियोजना कार्य (Project Work)


नवीन अकादमिक संरचना में परियोजना कार्य एक महत्वपूर्ण अंग है। परियोजना कार्य आधारित शिक्षण, विद्यार्थी के व्यक्तिगत अथवा समूह में रहकर अनुसंधान गतिविधियों का संयोजन है, जिससे विद्यार्थी फील्ड स्टडी के माध्यम से न सिर्फ अनुसंधान करना सीखता है। अपितु समूह में एक साथ घनिष्ठ रूप में कार्य करना भी सीखता है । महाविद्यालय के बाहर के फील्ड स्टडी / केस स्टडी के अनुभव विद्यार्थियों के लिए अमूल्य है। परियोजना कार्य के माध्यम से, विद्यार्थियों में समूह अनुसंधान गतिविधियों के अलावा स्वप्रबंधन, लोकतांत्रिक राय निर्माण, सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता में अभिवृद्धि होती है ।

परियोजना कार्य में शिक्षक की अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षक के द्वारा विद्यार्थियों को दिये जाने वाले मार्गदर्शन के द्वारा, शिक्षकों में भी अनुसंधान प्रवृत्ति, विषय में अंर्तदृष्टि और समस्याओं को समझने एवं उनके निराकरण का कौशल विकसित होगा। परियोजना कार्य की विशेषता है कि इसमें शामिल सभी लोग एक-दूसरे से सीखते है। शिक्षक का दायित्व है कि वह विद्यार्थियों के साथ अकादमिक संवाद स्थापित करें, विषय से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर सोचने एवं प्रश्न करने की प्रवृत्ति विकसित करें तथा उनके उत्तर प्राप्त करने के लिये उपयुक्त शोध प्रविधियों को अपनाने के सुझाव दे तथा विद्यार्थियों द्वारा किये गये कार्यों की सतत् समीक्षा करेंगे।

क) परियोजना कार्य हेतु विषय का चयन -


परियोजना कार्य में विषय का चयन अत्यधिक महत्वपूर्ण है। विषय / शीर्षक चयन में, विद्यार्थियों की विषय विशेष में रुचि को आधार मानकर, परियोजना की उपादेयता को ध्यान में रखते हुये विषय आवंटन करना चाहिए। परियोजना कार्य न ही बहुत व्यापक हो, न ही बहुत सीमित हो, अर्थात नियत समय अवधि में, विद्यार्थी इसे पूर्ण कर सकें ।

परियोजना कार्य के विषय का व्यक्तिगत एवं समाजिक महत्व भी होना चाहिए, तथा यह एक शोध विषय के रूप में अनुसंधान को प्रेरित करने वाला हो। शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि शोध के विषय के चयन हेतु Learning Outcomes इस प्रकार निर्धारित किये जाएँ जो प्राप्ति योग्य  हों तथा जिनके आधार पर प्राप्त ज्ञान एवं कौशल का मापन व अवलोकन (Measurable and Observable) स्पष्टता के साथ किया जा सके ।

परियोजना कार्य को महाविद्यालय के उपलब्ध संसाधन यथा लाईब्रेरी, इंटरनेट, ऑडियो विजुअल सामग्री तथा महाविद्यालय के बाहर फील्ड वर्क / केस स्टडी / अथवा अन्य संस्थान का शैक्षणिक भ्रमण आदि के आधार पर पूर्ण किया जाना चाहिए।

ख) परियोजना कार्य हेतु निर्देश -


परियोजना कार्य सामान्य रूप से विषय से संबंधित विद्यार्थियों के समूह बनाकर उन्हें आवंटित किये जायें। समूह में विद्यार्थियों की संख्या परियोजना कार्य की प्रकृति एवं आवश्यकता के अनुरूप रखी जा सकती है । समूह में विद्यार्थियों की संख्या न्यूनतम 4 से अधिकतम 6 हो सकती है।

. विद्यार्थी समूह को फील्ड वर्क आधारित परियोजना कार्य में विद्यार्थी को 07 पूर्ण दिवस अथवा 15 दिवस अंश कालीन (पार्ट टाइम) फील्ड वर्क करना अनिवार्य है । यदि वह मान्यता प्राप्त संस्था से यह कार्य कर रहा है तो उस संस्था का प्रमाण-पत्र अथवा फील्ड वर्क के साक्ष्य फोटो के रूप में रिपोर्ट में प्रस्तुत करना होगा ।

परियोजना रिपोर्ट स्वहस्तलिखित न्यूनतम 5000 शब्दों में प्रस्तुत करना होगी। प्रोजेक्ट रिपोर्ट में आवश्यकतानुसार, चार्ट, ग्राफ, फोटोग्राफ आदि का प्रयोग करना आवश्यक है ।

परियोजना कार्य में समूह में शामिल सभी विद्यार्थियों की भूमिका एवं उत्तरदायित्व का उल्लेख परियोजना प्रविधि में किया जाना आवश्यक होगा। संबंधित शिक्षक ये सुनिश्चित करेंगें कि प्रत्येक 15 दिवस पर, विद्यार्थी समूह की बैठक आयोजित कर निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिये, विद्यार्थी समूह द्वारा किये गये प्रयासों की समीक्षा करेंगें ।

परियोजना कार्य किसी भी रूप में नकल पर आधारित नहीं होगा। विद्यार्थियों को स्वविवेक से उपलब्ध संसाधनों के आधार पर परियोजना कार्य को पूर्ण करना होगा । विद्यार्थियों को यह प्रमाण पत्र भी रिपोर्ट के साथ देना होगा की प्रस्तुत परियोजना रिपोर्ट उनका मौलिक कार्य है। परियोजना कार्य दीर्घ अवधि में पूर्ण किया जाना है, परंतु किसी भी स्थिति में विद्यार्थी को चालू सत्र में 31 दिसंबर के पूर्व परियोजना कार्य पूर्ण करना आवश्यक है।

नोट :- वर्तमान अकादमिक सत्र 2023-24 से यह कार्य पूर्ण करने की अंतिम तिथि 15 फरवरी है।


ग) परियोजना कार्य का मूल्यांकन -


परियोजना कार्य का उद्देश्य विद्यार्थियों में विषय से संबंधित प्रमुख बिन्दुओं पर रचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करना है। प्रत्येक विद्यार्थी/विद्यार्थी समूह परियोजना के निर्धारित अवधि के अंत में परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगें, जिसका मूल्यांकन नियमानुसार किया जायेगा ।

• मूल्यांकनकर्ता ये सुनिश्चित करेंगे कि परियोजना कार्य में निर्धारित आवश्यक चरणों का समावेश किया गया है तथा परियोजना कार्य द्वारा पूर्व निर्धारित Learning Outcomes प्राप्त कर लिए गए हैं।

• विद्यार्थी समूह द्वारा रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण भी किया जाये, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी की निर्धारित भूमिका एवं उसके द्वारा कार्य निष्पादन का मूल्यांकन किया जाये ।

• विद्यार्थियों द्वारा 15-15 दिवस में न्यूनतम तीन प्रगति प्रतिवेदन ( प्रारूप -P1, P2, P3) में देना होगा, जिसके आधार पर संबंधित शिक्षक सतत् मूल्यांकन का कार्य करेंगे ।

• सतत् मूल्यांकन के अतिरिक्त परियोजना कार्य की अंतिम रिपोर्ट (प्रारूप - P4 प्रारूप में जमा करने के पश्चात् परियोजना कार्य का विश्वविद्यालय द्वारा नामित बाह्य परीक्षक की उपस्थिति में प्रस्तुतिकरण एवं मौखिकी परीक्षा होगी। उसी के आधार पर अंतिम मूल्यांकन तथा नियमतः ग्रेड आवंटित किया जावेगा ।

आंतरिक (सतत् एवं बाह्य मूल्यांकन में अंकों का विभाजन क्रमशः 50 एवं 50 अंकों का होगा।

अ) आंतरिक मूल्यांकन (50 अंक) हेतु विद्यार्थी समूह निर्धारित प्रारूप में तीन प्रगति प्रतिवेदन, निश्चित अंतराल पर प्रस्तुत करेगा। आंतरिक मूल्यांकन हेतु तीनों रिपोर्ट में से, दो श्रेष्ठ रिपोर्ट की गणना की जायेगी ।

ब) बाह्य मूल्यांकन (50 अंक) का विभाजन निम्न अनुसार होगा:

30 अंक - अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं प्रस्तुतिकरण (सामूहिक)

20 अंक मौखिकी (व्यक्तिगत) -

प्रत्येक विद्यार्थी का परियोजना कार्य में आवंटित कार्य उसके द्वारा निष्पादित कार्य एवं परियोजना हेतु निर्धारित तथा अर्जित दक्षताओं (Learning Outcomes) के आधार पर मूल्यांकन किया जायेगा ।

परियोजना कार्य में संलग्न विद्यार्थी, परियोजना के अलग-अलग चरणों में 3 पाक्षिक प्रगति रिपोर्ट (प्रारूप P1, P2 व P3) 15-15 दिवस के अन्तराल में प्रस्तुत करेंगे।

परियोजना कार्य करने वाले विद्यार्थियों की अंतिम रिपोर्ट के लिए प्रारूप - P4 निर्धारित है, इस रिपोर्ट में पूर्व में जमा की गईं प्रथम, द्वितीय व तृतीय पाक्षिक रिपोर्ट के विवरण को भी आवश्यकतानुसार सम्मिलित किया जा सकेगा।

2. प्रशिक्षुता (Internship) एवं शिक्षता (Apprenticeship)


प्रदेश के विद्यार्थियों को सैद्धांतिक ज्ञान के साथ साथ व्यावसायिक व व्यावहारिक ज्ञान देने के लिए नवीन अकादमिक संरचना में शिक्षुता / प्रशिक्षुता एक प्रमुख अवयव है। प्रशिक्षुता एवं शिक्षुता पाठ्यक्रम को विद्यार्थी किसी संस्था / फर्म / व्यावसायिक संगठन / व्यक्ति के साथ रहकर पूर्ण करता है तथा निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के पश्चात् संस्था / फर्म / व्यावसायिक संगठन / व्यक्ति द्वारा उसे इस आशय का प्रमाण पत्र दिया जाता है जिसके आधार पर उसका मूल्यांकन किया जाता है।

शिक्षुता / प्रशिक्षुता कार्यक्रम की सफलता प्राचार्य एवं प्राध्यापकों के कुशल मार्गदर्शन पर निर्भर है। ऐसे विद्यार्थी जो शिक्षुता कार्यक्रम करना चाहते है वे संबंधित विषय के शिक्षक की अनुशंसा पर प्राचार्य की अनुमति से यह पाठ्यक्रम पूर्ण कर पायेंगें । विद्यार्थी कोशिक्षुता / प्रशिक्षुता कार्यक्रमलिये संबंधित व्यक्ति / संस्था / फर्म से सहमति पत्र प्राप्त कर महाविद्यालय में जमा करना होगा । इसके पश्चात् ही प्राचार्य विद्यार्थी को शिक्षुता / प्रशिक्षुता पाठ्यक्रम के लिए अनुमति प्रदान करेंगें ।

प्राचार्य एवं शिक्षकगण यह सुनिश्चित करेंगे कि विद्यार्थी शिक्षुता / प्रशिक्षुता पाठ्यक्रम के लिए जिस संस्था / व्यक्ति के पास जा रहा है वो प्रतिष्ठित, स्तरीय व वैधानिक है तथा शिक्षुता प्रशिक्षुता कार्यक्रम का निष्पादन करने के लिये सक्षम है। पाठ्यक्रम / सह गतिविधि की गुणवत्ता के लिए संबंधित शिक्षक एवं विद्यार्थी समान रूप से जिम्मेदार होंगे। प्रत्येक शिक्षुता / प्रशिक्षुता पाठ्यक्रम के लिये Learning Outcomes का स्पष्ट निर्धारण करना होगा ।

(क) प्रशिक्षुता / शिक्षुता कार्य हेतु निर्देश :


• प्रशिक्षुता, शिक्षुता के कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को कार्यारम्भ के प्राथमिक चरण में कार्य की प्रारंभिक रुपरेखा, कार्यक्षेत्र, संस्थान की जानकारी, आदि प्रारूप A1 में प्रस्तुत करना होगा। -

० विद्यार्थी को 07 पूर्ण दिवस अथवा 15 दिवस पार्ट टाइम कार्य संबंधित व्यक्ति / संस्था / व्यावसायिक संगठन / फर्म के साथ करना होगा तथा इसके उपरांत शिक्षुता पाठ्यक्रम में संबंधित संस्था / व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराये गए प्रतिपुष्टि प्रपत्र (Feedback Form -G4) के आधार पर ही विद्यार्थी का आंतरिक मूल्यांकन किया जायेगा जो कि कुल अंक का 50 प्रतिशत होगा।

० शिक्षुता / प्रशिक्षुता पूर्ण करने के पश्चात् विद्यार्थी महाविद्यालय में उसके द्वारा किये गये शिक्षुता / प्रशिक्षुता कार्य की अंतिम रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप - A2 में प्रस्तुत करेगा तथा जिसमें उसके द्वारा शिक्षुता से प्राप्त ज्ञान व कौशल वृद्धि का भी उल्लेख होगा। विद्यार्थी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उद्देश्य, पूर्व निर्धारित Learning Outcomes, शिक्षुता / प्रशिक्षुता की अवधि में ज्ञान व कौशल में अभिवृद्धि तथा भविष्य की योजना आदि का उल्लेख करना होगा । यह रिपोर्ट स्वहस्तलिखित, न्यूनतम 2000 शब्दों की होनी चाहिए, आवश्यकतानुसार ग्राफ, फोटोग्राफ, चार्ट आदि का समावेश किया जाना चाहिए ।

(ख) प्रशिक्षुता (Internship) / शिक्षुता (Apprenticeship) कार्य का मूल्यांकन :- 


निर्धारित अवधि के पश्चात प्रत्येक विद्यार्थी द्वारा प्रशिक्षण कार्य की प्रस्तुत रिपोर्ट का सत्रांत में मूल्यांकन किया जायेगा। आंतरिक मूल्यांकन के अतिरिक्त विश्वविद्यालय द्वारा नामित बाह्य परीक्षक की उपस्थिति में विद्यार्थी को प्रस्तुतीकरण तथा मौखिकी देना होगा । मूल्यांकन, रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण एवं मौखिकी पर आधारित होगा जिसमें विद्यार्थी के द्वारा अर्जित ज्ञान व कौशल में प्रशिक्षुता / शिक्षुता के कारण हुई अभिवृद्धि मुख्य आधार होगें ।

० मूल्यांकनकर्ता यह सुनिश्चित करेंगें कि रिपोर्ट में निर्धारित आवश्यक चरणों का समावेश किया गया है तथा प्रशिक्षुता (Internship) / शिक्षुता (Apprenticeship) कार्य द्वारा पूर्व निर्धारित Learning Outcomes प्राप्त कर लिए गए हैं, उसी के आधार पर अंतिम मूल्यांकन तथा नियमतः ग्रेड आवंटित किया जावेगा ।

० आंतरिक एवं बाह्य मूल्यांकन में अंको का विभाजन क्रमशः 50 अंकों का होगा ।

० संबंधित संस्था / व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराये गए प्रतिपुष्टि प्रपत्र (Feedback Form प्रारूप G4) के आधार पर ही विद्यार्थी का आंतरिक मूल्यांकन किया जायेगा जो कि कुल 50 अंक का होगा ।

• बाह्य मूल्यांकन (50 अंक) का विभाजन निम्न अनुसार होगा :

• 30 अंक - अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं प्रस्तुतिकरण

20 अंक मौखिकी

प्रत्येक विद्यार्थी के द्वारा गुणवत्तापरक कार्य निष्पादन एवं अर्जित उपलब्धियों (Learning Outcomes) के आधार पर मूल्यांकन किया जायेगा।

3. सामुदायिक जुड़ाव (Community Engagement)


सामुदायिक जुड़ाव से अभिप्राय है विभिन्न परिवेश, विशिष्ट / समान रूचियों, सामाजिक संरचना वाले व्यक्तियों या समुदायों से जुड कर किसी सामाजिक सरोकार के लिए कार्य करना ।

उच्च शिक्षा संस्थानों में सामाजिक जिम्मेदारी और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के प्रमुख उद्देश्य:

• समाज एवं शिक्षण संस्थानों के बीच की खाई को पाटना जिससे अध्यापन / शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार हो ।

• उच्च शिक्षण संस्थानों और स्थानीय समुदायों के बीच गहरी समझ को बढ़ावा देना।

• समुदायों के समक्ष आने वाली वास्तविक जीवन की समस्याओं की पहचान और समाधान के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा प्रयास।

• सार्वजनिक सेवा और मूल्यों को उत्प्रेरित करना ।

स्थानीय समुदायों और उच्च संस्थानों के बीच भागीदारी को सुगम बनाना ताकि छात्र स्थानीय ज्ञान से सीख सकें ।

सामुदायिक जुड़ाव संबंधी गतिविधियों के उदाहरण :


• स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम, जनजागृति शिविर, विकलांगता शिविर और स्वच्छता शिविरों का आयोजन ।

• मृदा स्वास्थ्य परीक्षण, पेयजल विश्लेषण, ऊर्जा उपयोग और ईंधन दक्षता सर्वेक्षण का संचालन ।

• जैविक खेती, सिंचाई और उर्वरकों के तर्कसंगत उपयोग और फसलों और पौधों की पारंपरिक प्रजातियों को बढ़ावा देने के संबंध में किसानों के लिए अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित करना ।

• स्थानीय आंगनबाडी केंद्र पर निरीक्षण और प्रदान की जा रही सेवाओं का अध्ययन ।

• स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों के साथ बातचीत, और उनके कार्यों और चुनौतियों का अध्ययन ।

• स्थानीय कारीगरों व कामगारों के कौशल का अध्ययन कर उन्नयन और आजीविका गतिविधियों की कार्य योजना बनाना।

• जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति लोगो की समझ बढ़ाना, पर्यावरण के जागरूक समुदाय का निर्माण करना ।

• ग्रामीण स्कूलों / मध्याह्न भोजन केंद्रों का दौरा, संसाधन अंतराल, शैक्षणिक और बुनियादी ढांचे का अध्ययन ।

• सौर ऊर्जा परियोजना स्थलों का फील्ड दौरा, विश्लेषण करना और समस्या समाधान की पहल ।

• ग्राम विकास योजना तैयार करने और संसाधन जुटाने के संबंध में स्थानीय नेताओं, पंचायत पदाधिकारियों और स्थानीय संस्थानों के साथ संवादात्मक सामुदायिक अभ्यास ।

• अभिभावक शिक्षक संघ की बैठकों में प्रतिभागिता, और स्कूल छोड़ने वालों (ड्रापआउट) का साक्षात्कार ।

• स्थानीय गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक संगठनों और कर्मचारियों के साथ बातचीत ।

• सार्वजनिक संपत्ति, संसाधन प्रबंधन, ग्राम तालाब रखरखाव और मत्स्य समितियों के गठन की प्रक्रिया ।

• ग्राम सभा की बैठकों में प्रतिभागिता, और समुदाय की भागीदारी का अध्ययन, ग्राम

पंचायत स्तर पर सामाजिक अंकेक्षण अभ्यास, कार्यक्रम के लाभार्थी और इनके साथ

बातचीत ।

ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत सहायता के लिए मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण आयोजित करना ।


(क) सामुदायिक जुड़ाव / सेवा कार्य हेतु निर्देश :


इस क्षेत्र में कार्य करने को इच्छुक विद्यार्थी किसी स्थानीय प्रतिष्ठित स्वयंसेवी / मान्यता प्राप्त गैर शासकीय संगठन के साथ जुड़कर किसी सकारात्मक सामाजिक सरोकार जैसे प्रौढ़ शिक्षा, बाल मजदूरी, अनाथ आश्रम प्रबंधन, वृद्धाश्रम, जलसंरक्षण आदि के संदर्भ में सेवा कार्य कर सकेंगे ।

सामुदायिक जुड़ाव गतिविधि के अंतर्गत विद्यार्थी जिस संस्था के साथ जुड़कर सेवा/ शोधकार्य करना चाहते हैं उनसे संपर्क कर उनके समस्त प्रारंभिक विवरण जैसे कार्यक्षेत्र, कार्य अनुभव, पंजीकरण, किए गए कार्य, प्राप्त पुरस्कार आदि की जानकारी प्राप्त करेंगे ।

यह आवश्यक होगा कि उक्त संस्था किसी धार्मिक, जातिगत अथवा राजनैतिक रूप से पूर्णतः निरपेक्ष हो, किसी सम्प्रदाय अथवा विशिष्ट राजनैतिक विचारधारा से अभिप्रेरित न हो, किसी वैधानिक स्तर पर चिन्हित व सत्यापित हो। एन.जी.ओ. के पंजीकरण की जानकारी ngodarpan.gov.in से प्राप्त की जा सकती है।

विद्यार्थी अपनी रुचि एवं निर्दिष्ट उपरोक्त मानदण्डों के अनुरूप कार्य व संस्था का नाम / विवरण प्रभारी शिक्षक को प्रस्तुत करेंगे। प्रस्तावित कार्य व स्वरूप की रूपरेखा व लक्षित प्रतिफल का विवरण भी शिक्षक को प्रस्तुत करेंगे ।

प्रस्तावित कार्य, संस्था की वैधानिकता और कार्य के अपेक्षित स्वरूप आदि से संतुष्ट होने पर प्रभारी शिक्षक की अनुशंसा पर महाविद्यालय के प्राचार्य, विद्यार्थी को, सामाजिक जुड़ाव गतिविधि के लिए अनुमत कर सकेंगे। सामुदायिक जुड़ाव की गतिविधियों में शोध / अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को कार्यारम्भ के प्राथमिक चरण में, कार्य की प्रारंभिक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए प्रारूप - C1 नियत है।

उक्त कार्य हेतु विद्यार्थी 7 दिवस का पूर्णकालिक अथवा 15 दिवस का अंशकालिक फील्ड कार्य करेंगे।

विद्यार्थी विस्तृत प्राथमिक प्रस्ताव पर्यवेक्षक शिक्षक को प्रारूप C1 प्रारूप में प्रस्तुत - करेगा तथा अंतिम विस्तृत रिपोर्ट व अनुशंसाएं स्व हस्तलिपि में फोटोग्राफ्स सहित निर्धारित प्रारूप C2 में जमा करेंगे, सम्बंधित सहयोगी / मार्गदर्शक संस्था की मूल्यांकन रिपोर्ट संलग्न करना अनिवार्य है ।

(ख) मूल्यांकन हेतु निर्देश:


• आंतरिक एवं बाह्य मूल्यांकन में अंको का विभाजन क्रमशः 50 एवं 50 अंकों का होगा।

संबंधित संस्था / व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराये गए प्रतिपुष्टि प्रपत्र (Feedback Form ) के आधार पर ही विद्यार्थी का आंतरिक मूल्यांकन किया जायेगा जो कि कुल 50 अंक का होगा ।

• बाह्य मूल्यांकन (50 अंक) का विभाजन निम्न अनुसार होगा:

0 30 अंक अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट एवं प्रस्तुतिकरण -

० 20 अंक मौखिकी -

प्रत्येक विद्यार्थी के द्वारा गुणवत्तापरक कार्य निष्पादन एवं अर्जित उपलब्धियों (Learning Outcomes) के आधार पर मूल्यांकन किया जायेगा ।

Project ko kaise taiyar karna hai uske liye niche diye gaye pdf download button per click Karke project format download Karen



Note:- यदि आपका प्रोजेक्ट इस टॉपिक पर है तो आप फ्री में Project File डाउनलोड कर सकते हैं


          "एम.पी. ऑनलाइन की उपयोगिता"





 


            "किराना व्यवसाय का प्रबंधन"


इसमें अध्याय प्रथम लिखना है उसी को p1 कहेंगे
इसमें अध्याय द्वितीय लिखना है उसी को p2 कहेंगे
इसमें अध्याय तृतीय लिखना है उसी को p3 कहेंगे
इसमें अध्याय प्रथम,द्वितीय,तृतीय तीनों अध्याय एक साथ लिखना है उसी को p4 कहेंगे

Comments

Copyright (c) 2025 RITESHLODHI420 All Right Reseved